Tuesday, February 12, 2008

एक पत्रकार अभी जीवित है !

पत्रकार - मीडियाकर्मी और नेताओं के बीच के रिश्ते पर एक भयानक त्रासदी है ! जब पत्रकार भ्रष्ट नेता के भ्रष्टाचार की पोल खोलता है तो ! नेता यह बात दबाने के लिए पहले पैसा फेंकता है ! धमकाता है ! नौकरी से निकलवाता है! यदि ये प्रयास सफल नही हुए तो फिर उत्तराखंड के युवा पत्रकार स्व डोभाल की तरह उसे मौत के घाट उतरवाता है ! इसके ख़िलाफ़ साथी पत्रकार पहले एकजुट होते है ! फिर विज्ञापन/ प्रलोभन का तेज झोंका आता है तो वे पीड़ित मृत पत्रकार को ब्लेकमेलर बताते हुए खबरें गढ़ते हैं!

मध्यप्रदेश के गुना में फिर ऐसी कहानी दोहराई गई ! यहाँ एक नेता के खिलाफ गड़बड़ झाला की आवाज बुलंद करने की सजा वहाँ के एक दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार को जानलेवा हमले के रूप में भुगतना पड़ी ! पत्रकार की इतनी पिटाई की गई की पाँव की हड्डी 18 जगह से टूट गई! डॉ. का मानना है कि यह पत्रकार कभी भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पायेगा

दूसरे दिन घटना के विरोध में सभी पत्रकार कलेक्टर से मिले! तीसरे दिन नेता जी ने पत्रकारों को सेट किया! उसके बाद ज्यादातर अखवारों ने छापा दुनिया का सबसे ज्यादा चोर उनका यानी पत्रकारों का ही साथी था ! नेता जी जैसे संत ने तो हमारे तालाब की यही मछली को मारकर तालाब के साफ करके चोथे स्तम्भ पर उपकार ही किया है! बेचारी पुलिस कह रही है कि हमने आरोपी पकड़ लिए है ! फरियादी का क्या ? वे नेता जी का हाथ होने से मना कर रहे हैं अब हम आरोपी कि बात मानेंगे या फरियादी की ! कहो खूब रही न जब चोर कह रहा मैंने चोरी नहीं कि तो भला फरियादी कि क्या विसात कि वह चोर को पकड़वा सके ! आप कहो तो कहो में नहीं कहता कि चोर चोर मोसेरे भाई इसी को कहते हैं !

1 comment:

cartoonist ABHISHEK said...

hi dev,BADHAI.
TUMHEN BLOG PAR DEKH KAR ACHCHHA LGA.YAHAN MUJHE APNI MATI KI GANDH MAHSOOS HO RHI HAI.MUJHE UMMEED HAI YE BLOG AANE WALE DINO ME DUNIYA KO OR BEHATER TAREEKE SE BATAYEGA ki BHIND BANDOOK KE ALAWA BHI OR BAHUT KUCHH HAI.
ABHISHEK,
cheif cartoonist,
RAJASTHAN PATRIKA,
jaipur.